आरक्षण रेलवे वाली
आज मेरे मन में एक तूफान हिंडोले मारने लगा और मैंने खुद से एक सवाल कर दिया कि जब मैंने शैक्षिक संस्थाओं व सरकारी नौकरियों में आरक्षण को स्वीकार कर ही लिया है और आजकल हमारे हुक्मदेव भी इसका दायरा बढ़ाने का समर्थन कर रहे हैं तो फिर ये तथाकथित लोग रेलवे को क्यों अभागा बनाने पर तुले हुए हैं|
ये लोग कब समझेंगे कि जब रेलवे में नियुक्ति उन उम्मीदवारों की जातिगत पहचान पर निर्धारित होती है, तो उन यात्रियों का क्या दोष है कि उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है, उन्हें भी वो अधिकार मिलना चाहिए, जो एक आरक्षित वर्ग के 'उम्मीदवारों' को मिलती है|
अब हमारे ही अपने लोग हमसे सवाल करेंगे कि भाई, ये तो हमने सोचा ही नहीं, जब आरक्षित उम्मीदवार को नियुक्ति के समय छूट मिलती है, तो जो यात्री आरक्षित वर्ग से आते है, उन्हें तो इसका (आरक्षण का) फायदा मिलना चाहिए| वो उम्मीदवार, जो शिक्षा में आरक्षणरुपी देवता के आशीर्वाद से अग्रसर हो रहे हैं, उनके लिए नौकरियों में आरक्षण उपहारस्वरुप भेंट कर दिया, जो कि काबिल-ए-तारीफ है|
हमारे एक बंधु के अनुसार , वो लोग जो आरक्षण की सीमा में आते हैं, उनके साथ सदियों से बड़ा अत्याचार होता आया है लेकिन वो ये बताना भूल गए कि इस आरक्षण का कैसे प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाए ताकि उन्हें इसका फायदा बड़े स्तर पर मिल सके|
रेलवे हमारी जीवनरेखा के समान है। हमारे लोगों को समझना व समझाना चाहिए कि कब हम इन लोगों को इनका मौलिक अधिकार पूरी तरह दे पाएंगे|
ये लोग कब समझेंगे कि जब रेलवे में नियुक्ति उन उम्मीदवारों की जातिगत पहचान पर निर्धारित होती है, तो उन यात्रियों का क्या दोष है कि उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है, उन्हें भी वो अधिकार मिलना चाहिए, जो एक आरक्षित वर्ग के 'उम्मीदवारों' को मिलती है|
अब हमारे ही अपने लोग हमसे सवाल करेंगे कि भाई, ये तो हमने सोचा ही नहीं, जब आरक्षित उम्मीदवार को नियुक्ति के समय छूट मिलती है, तो जो यात्री आरक्षित वर्ग से आते है, उन्हें तो इसका (आरक्षण का) फायदा मिलना चाहिए| वो उम्मीदवार, जो शिक्षा में आरक्षणरुपी देवता के आशीर्वाद से अग्रसर हो रहे हैं, उनके लिए नौकरियों में आरक्षण उपहारस्वरुप भेंट कर दिया, जो कि काबिल-ए-तारीफ है|
हमारे एक बंधु के अनुसार , वो लोग जो आरक्षण की सीमा में आते हैं, उनके साथ सदियों से बड़ा अत्याचार होता आया है लेकिन वो ये बताना भूल गए कि इस आरक्षण का कैसे प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाए ताकि उन्हें इसका फायदा बड़े स्तर पर मिल सके|
रेलवे हमारी जीवनरेखा के समान है। हमारे लोगों को समझना व समझाना चाहिए कि कब हम इन लोगों को इनका मौलिक अधिकार पूरी तरह दे पाएंगे|
अब समय आ गया है जब हमें खुद से
एक सवाल करना चाहिए कि जो लोग आज संविधान की परिभाषानुसार आरक्षण हासिल कर रहे
हैं, उनके समुचित व व्यापक स्तर पर आरक्षण के उपयोग को कानूनी मान्यता मिलनी
चाहिए| लोगों को हक होना चाहिए जिससे कि वो रेलवे टिकट लेते समय अपना पहचान पत्र
दिखाकर आरक्षण का फायदा उठा सके जिसके उनकी आर्थिक बदहाली कुछ तो सुधर सके|
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आप अपने विचार हमें बताकर हमारी मदद कर सकते हैं ताकि हम आपको बेहतरीन सामग्री पेश कर सकें।
हम आपको बेहतर सामग्री प्रस्तुत करने हेतु प्रतिबद्ध हैं लेकिन हमें आपके सहयोग की भी आवश्यकता है। अगर आपके पास कोई सवाल हो, तो आप टिप्पणी बक्से में भरकर हमें भेज सकते हैं। हम जल्द आपका जवाब देंगे।