समझ का फर्क
सोचिए कि एक व्यक्ति दो भाषाएँ जानता है- एक जो वह पूर्णतः समझता है और दूसरी उसकी मातृभाषा है। अगर आप उसके समझनेवाली भाषा में उसे बोलेंगे, तो वह बात उसके दिमाग तक ही जाएगी लेकिन वही बात अगर आप उसकी भाषा यानि कि मातृभाषा में करेंगे, तो वह उसके दिल तक पहुँचेगी।
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