कुमारवाणी पर आपका स्वागत है।

देशप्रेम

हमारे नेताजी- देशप्रेम दिवस
आज नेताजी यानि हमारे स्वर्गीय सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन है। आज का दिन वैसे तो इनके नाम पर होना ही चाहिए लेकिन हमें उन आदर्शों व मूल्यों की भी उपेक्षा नहीं करना चाहिए जिन्होंने सुभाष को देश का नेताजी बनाया।
हमारे देश में पदवी व पुरस्कार वैसे तो रेवड़ियों की तरह बाँटे जाते हैं और बँट भी रहे हैं लेकिन हमारे नेताजी ने अपने कर्मों के द्वारा यह साबित भी कर दिखाया कि वो वाकई हमारे नेताजी हैं। मुझे इस बात का दुख है कि हम इनकी आत्मीयता को भूलते जा रहे हैं। मैं मानता हूँ कि आज वो दौर नहीं है जब हम नेताजी की कार्य प्रणाली का बहुप्रयोग करेंगे लेकिन हमें उस दौर की महत्ता का तो भान होना ही चाहिए कि हम तय कर सकें कि नेताजी ने किन परिस्थितियों में कैसा, क्यों व किस तरह निर्णय लिया। हमें यह भी पता होना चाहिए कि उनके संगठन आजाद हिंद फौज की क्या उपलब्धियाँ रही और देश स्वतंत्रता में इसका कितना सक्रिय व असक्रिय योगदान रहा।
लेकिन हमारे तत्कालीन सत्ताधीशों को हमारे नेताजी व उनकी कार्य प्रणालियाँ नापसंद थी और इसी वजह से इनसे जुड़े कई तथ्यों का अबतक खुलासा नहीं हो सका है। तत्कालीन सरकार को शायद इसका भय था कि नेताजी के नाम पर कहीं इनके खिलाफ ही विरोध न भड़क जाएँ। यह तो प्रत्यक्ष सिद्ध नहीं होता है लेकिन इसे धिक्कारने हेतु पर्याप्त सामग्री भी अनुपलब्ध है। इसके बाद बंगाल में ही नक्सलवाद के उदय व प्रचार-प्रसार ने भी इन सरकारों को नेताजी के प्रति पूर्णतः उपेक्षित बना दिया।
महात्मा गाँधी के नेताजी के साथ कैसे संबंध थे, यह किसी से छिपा नहीं है और उन्हीं के कारण नेताजी को काँग्रेस अध्यक्षी अर्थात् काँग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। इसके तदोपरांत नेताजी ने फारवर्ड ब्लाक नामक नए राजनीतिक दल की स्थापना की। उस समय यह भी धारणा थी कि जो महात्मा गाँधी की सोच है, वही वास्तविकतः पूरे देश की सोच है और इसी वजह से पूर्ववर्ती सरकारों ने नेताजी व उनकी जीवन गाथा को हमसे दूर रखा और इनका परिणाम यह हुआ कि आज भी हममें से कई नेताजी शब्द से ही अंजान हैं।
आजकल जब हम नेताजी नामक शब्द सुनते हैं, तो हमें किसी राजनेता का नाम सुनायी देता है जिसने अपनी जिंदगी में प्रमं अर्थात् प्रधानमंत्री बनने के सपने देखने के अलावा क्या-क्या किया, वही संदेह के घेरे में है। हमें वैसे तो वर्तमान राजनीतिक माहौल को इस आलेख का हिस्सा नहीं बनाना चाहिए क्योंकि इसी तत्व ने हमारे नेताजी की सबसे ज्यादा उपेक्षा की है। इसका एक ही मूलमंत्र है- किसी तरह बिना मूलधन के अधिक कमाई करना और इसने इसे सिद्ध भी किया है। जो महात्मा गाँधी ने शुरु किया था, आज हमारे राजनीतिज्ञ शब्दवार इस्तेमाल कर रहे हैं। जी हाँ, मैं वंशवाद की राजनीति की बात कर रहा हूँ और मैं अपने किसी अन्य आलेख में इसकी व्याख्या करूँगा।
हमें नेताजी व उनसे जुड़े निधियों को सहेजकर रखना होगा और हमें भावी पीढ़ी को यह बताना भी होगा कि हमने केवल अहिंसा के बल पर ही आजादी हासिल नहीं किया था बल्कि उसमें हमारे नेताजी जैसे लोगों का भी समूह था जिसने हथियारबंद अंग्रेजों को आंदोलन के अन्य तरीकों से परेशान रखा और अंततः हम सन् १९४७ ई० को आजाद हुए
वैसे मुझे विश्वास है कि हम उनकी निधियों को सहेजने में कुछ हद तक सफल रहेंगे लेकिन अगर राजनीतिक मन पूर्ण निष्ठा से नेताजी की परंपरा को समझने व समझाने में विश्वास रखता है, तो यह पूरे देश के लिए सार्थक सिद्ध होगी लेकिन ऐसा होना अभी गर्भ में ही है।
मैं आपसे एक दरखास्त करना चाहता हूँ कि आप इस दिन को नेताजी के नाम पर जरूर उत्सव मनाएँ क्योंकि हमारे पूरे स्वाधीनता संग्राम में ये ही अकेले प्रतिष्ठान रहे जिनके नाम-काम पर अनकही पाबंदी लगी है। मैं खुद इसका पुरजोर समर्थन करता हूँ कि नेताजी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में देशप्रेम दिवस मनाया जाए लेकिन आज कोई छुट्टी नहीं होगी बल्कि लोग अपने घर, दफ्तर, अदालत, सिनेमाघर आदि सार्वजनिक स्थलों पर इनकी प्रतिमा या चित्र पर फूल या मालार्पण कर श्रद्धांजलि देंगे। यहाँ केंद्र सरकार की सशक्त भूमिका की आवश्यकता है जिससे मैं उम्मीद नहीं रखूँगा।
हमें लोगों को सिखाना होगा कि देशभक्ति केवल सिनेमाघर में राष्ट्रगान बजते समय खड़े रहने से या अपना कर सही समय पर देने से ही सिद्ध नहीं होती है। हमें उसके अहसास को जीना होगा और इसके लिए हमें सेना में भी जाने की जरूरत नहीं है। हमें बस धैर्य से हर चीज का स्वागत करना होगा और सभी चीजें स्वतः होने लगेगी।
आप सभी को नेताजी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में शुभकामनाएँ।

टिप्पणियाँ

यहाँ मानक हिंदी के संहितानुसार कुछ त्रुटियाँ हैं, जिन्हें सुधारने का काम प्रगति पर है। आपसे सकारात्मक सहयोग अपेक्षित है। अगर आप यहाँ किसी असुविधा से दो-चार होते हैं और उसकी सूचना हमें देना चाहते हैं, तो कृपया संपर्क प्रपत्र के जरिये अपनी व्यथा जाहिर कीजिये। हम यथाशीघ्र आपकी पृच्छा का उचित जवाब देने की चेष्टा करेंगे।

लोकप्रिय आलेख

राजपूत इसलिए नहीं हारे थे

100 Most Effective SEO Strategies

कुछ गड़बड़ है

अतरंगी सफर का साथ

हिंदी या अंग्रेजी क्या चाहिए???

शब्दहीन

नामकरण- समीक्षा