हमारे युवा व विवेकानंद
हमारा देश नौजवानों का देश है| यहाँ की अधिकतम आबादी युवाओं की है और आज हमारे युवाओं के
राष्ट्रीय प्रतीक स्वामी विवेकानंदजी का जन्मदिन है| विवेकानंदजी की शिक्षा-दीक्षा आज भी हमें प्रभावित करती है
और उनका पूरा जीवन ही अनुकरणीय रहा है| आप सभी को उनके जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयों के साथ आपसे आग्रह करता हूँ कि
उनके दिखाए मार्ग पर चलकर देश की प्रगति में भागीदार बनें।
विवेकानंदजी का नाम आते ही हमारे मस्तिष्क में श्रद्धा व
स्फूर्ति दोनों का स्वसंचार होने लगता है| उन्होंने संपूर्ण भारत भ्रमण कर खुद को देश के लिए समर्पित किया और भारत की
नैतिक मूल्यों व जीवनशैली को हम सबके सामने रखा। उनकी आत्मकथा हमें ऊर्जावान
बनाती है| उनके अनुसार अनुभव ही सबसे
बड़ा शिक्षक है इसीलिए जबतक जियो, तबतक सीखो|
हमारे युवा अपने सपनों की उड़ान में अधिक प्रतिस्पर्धी हो
गए हैं लेकिन क्या यह प्रतिस्पर्धा जायज है| कुछ युवाएँ खुद अपने मार्गों के शिल्पकार बने और सफलता के झंडे गाड़े| चाहे कोई भी क्षेत्र, खेल, संगणक प्रौद्योगिकी, तकनीकी, अंतरिक्ष, प्रशासन आदि हो, हमारे युवाओं ने हर जगह खुद को साबित किया कि वे उम्र में
भले ही छोटे हो लेकिन उनकी प्रतिबद्धता इस उम्ररूपी बाधा को तोड़ जाती है| हमारे युवा अपने सपनों की उड़ान में इतने दूर चले आए हैं कि अब घर
जाना ही सबसे बड़ा सपना लगता है लेकिन यह अड़चन भी समय प्रबंधन से पूरी की जा सकती
है लेकिन क्या इसमें पूर्ण सफलता मिलेगी|
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