हिंदीनुवाद: एक नया शब्द व प्रकल्प
मैं आज आपके साथ अपनी एक दुविधा साझा करूँगा
क्योंकि मुझे लगता है कि अपनी बात साझा करने से मेरे मन का बोझ भी हल्का हो जाएगा और
इस प्रकार मेरे पास समाधान की भी उम्मीद होगी और इसके साथ मैं आपसे यह भी उम्मीद करूँगा
कि आपकी सकारात्मक टिप्पणियाँ मेरा ज्ञानवर्धन भी करेगी।
मैं पिछले
अप्रैल से एक प्रकल्प पर काम कर रहा हूँ और मैंने इसका नाम संकल्पनाकोष दिया है।
इस प्रकल्प का उद्देश्य सॉफ्टवेर अनुवाद व हिंदीनुवाद (हिंदी+अनुवाद) से
जुड़ी समस्याओं का समूल नाश करना है और इसके साथ एक प्रतिबद्धता भी है कि इस
प्रकल्प के माध्यम से हिंदी का मानकीकरण भी हो सके। वैसे मानकीकरण कोई बच्चे का
खेल नहीं है इसीलिए इसमें समय तो लग ही सकते हैं लेकिन मैं इसके लिए प्रतिबद्ध हूँ
और मेरी दक्षता मुझे ऐसा करने को प्रेरित भी करती है।
इस प्रकल्प में
फिलहाल पंद्रह से भी अधिक विभाग हैं और इनमें सर्वमहत्वपूर्व है- संगणक विभाग और
इसी के तहत मेरा सॉफ्टवेर अनुवाद का कार्य चल रहा है। मैंने इसे इस लायक बनाया है
कि आप अपनी हिंदी में किसी भी सॉफ्टवेर का प्रयोग कर सकेंगे और आपकी किसी भाषाविशेष
की अनभिज्ञता आपके मार्ग में रोड़ा नहीं बनेगी और इसके साथ ही मैं कहना चाहता हूँ
कि इसके सभी पंचहजारी शब्द भारतीय लिपियों से लिए गए हैं।
मैंने
माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, ट्विटर, फेसबुक आदि लगभग बीस+ सजालों का संपूर्ण जाँच कर यही निष्कर्ष निकाला
कि इनके अनुवाद त्रुटिपूर्ण हैं और सबसे बड़ा कमाल उन्होंने यही किया है कि
उन्होंने अंग्रेजी के शब्दों को यथावत् हिंदी में शामिल कर दिया और शान से हमें
बताने में लगे हुए हैं कि वे कितने जतन से हमारी भाषाओं में सामग्री प्रस्तुत करते
हैं।
ऐसा भी नहीं है कि मैंने उनसे अभी तक संपर्क नहीं किया है लेकिन उनकी
अकर्मण्यता मुझे उनसे दूर भी करती है और मुझे इस कारण गुस्सा भी आता है कि वे
क्यों नहीं मेरी बात सुनते हैं। आप बोल सकते हैं कि उनके पास मुझसे बेहतर लोग हो
सकते हैं लेकिन मेरी बात न्यूनाधि सुन तो सकते हैं और मुझे एक मौका तो दे ही सकते
हैं।
मैं वैसे आपको
बताना चाहता हूँ कि इसका प्रथम संस्करण आपके सजाल कुमारवाणी पर प्रकाशित होनेवाला हैं।
मुझे इस प्रकल्प
से बड़ी उम्मीद है और इसकी सफलता पर मैं बट्टा नहीं लगाना चाहता हूँ एवं इसकी
पहुँच बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ूँगा। मैं इस प्रकल्प से जुड़ी विसंगतियों को
कम करने में लगा हुआ हूँ और इसके साथ ही मैं इन वैश्विक महारथियों के लिए दर्पण का
प्रयोग करने जा रहा हूँ जहाँ इनके कार्य परिलक्षित दिखेंगे।
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