जन्मदिन
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मेरे यारों का जन्मदिन |
देखता हूँ, बारह बजने में अभी भी शेष हैं और तबतक शायद मैं उससे बात
कर सकूँगा। मैं बात तो उससे कर ही लूँगा लेकिन उसके बाद क्या।।।
कुछ नहीं, असल में हमारे पास साझा करने के लिए कुछ नहीं है। मैं उससे प्रभावित
तो हूँ लेकिन थोड़ा ज्यादा और इतना कि बयाँ नहीं कर सकता हूँ। उसकी कालन यानि टाइमिंग का कायल
हूँ लेकिन फिर भी नादानों की तरह फिर रहा हूँ कि कहीं से कोई बैसाखी मिल जाए लेकिन
ये दुनिया इतनी शरीफ न तो कभी थी और न ही आज है, तो इतनी आसानी से ये मुमकिन नहीं होता
दिखता और मैं चुप हो जाता हूँ।
मेरी खामोशी कभी-कभी मुझसे हिसाब भी माँगती है लेकिन जब नील बटे सन्नाटा है तो
कैसा हिसाब???
मैं इस आलेख को एक मोड़ देकर कहूँगा कि जन्मदिन का संबंध सबसे अधिक किसी इंसान
से है तो वह हमारी माएँ हैं। जब एक शिशु का जन्म होता है, तो वह रोता/रोती है लेकिन
उसकी (जालिम!!!) माँ उस समय हँसती है और वह उस शिशु के जीवन का अकेला लम्हा होता है
जब अकेले वह रोता/रोती है और उसकी माँ खुश होती है, बाकी समय तो उसकी माँ उसके साथ
रोती ही है।
कल मेरे एक और यारा का ज'दिन है और मैंने उससे अभी कुछ देर पहले ही बात कर लिया।
हालाँकि मैंने उसे बधाई नहीं दिया लेकिन उसे अपने चिकनी-चुपड़ी बातों से अहसास करा
दिया कि कल कोई खास दिन है।
आप मुझसे शिकायत कर सकते हैं कि मैं यह आलेख लिखने के बजाय उससे अपनी बात क्यों
नहीं बता रहा हूँ लेकिन मेरी खुबी ही मेरे आड़े आ रही है। मैं असमर्थ हूँ।।।
मैं।।।
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