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कलेवर नया


आज मैं आपको एक दिलचस्प किस्सा सुनाने जा रहा हूँ और ऐसा भी नहीं है कि आपने ऐसी कहानी नहीं सुनी होगी लेकिन इसके नए कलेवर से आप जरूर अपरिचित होंगे
मैं आपको एक गायक के बारेमा बताना चाहता हूँ, हालाँकि मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूँगा क्योंकि मुझे लगता है कि यहाँ उनके नाम के बजाय हमें उनके काम पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। मैंने पहली बार तीन दिन पहले उनका वीडियो गीत यूट्यूब से बगैर देखे अधोभार किया और फिर उसे सुना। वह गीत स्पेनी में है और उसका संगीत बेजोड़ होने के कारण मुझे बेहद पसंद आया और मैंने कम से कम दस बार तो सुना।
कल मैं यूट्यूब पर जाने को सोचा कि उस गाने का आधिकारिक संस्करण अधोभार किया जाए क्योंकि मुझे उस समय तक यह भी पता नहीं था कि वह रोमनियाई है और मुझे इससे कभी फर्क भी नहीं पड़ेगा क्योंकि मैं एक संगीतप्रेमी हूँ और मेरा केवल संगीत से वास्ता है और इसके सिवा मुझे किसी और चीज से मतलब नहीं है। मुझे कल समय नहीं मिला कि मैं उनका वीडियो यूट्यूब से तत्काल सुन सकूँ और मैंने उनका गीत अधोभार भी नहीं किया और आज के लिए टाल दिया।
आज सुबह पाँच पचास में जब उठा तो सोचा कि अच्छे संगीत से अपना सुप्रभात किया जाए और मैंने तुरंत यूट्यूब को स्वीच कर उनके गीत ढूँढने लगा और अधिकतर सुना भी लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मुझे उनका कोई गीत उतना पसंद नहीं आया जितना मुझे उनका पहला गाना (जो मैंने पहली बार सुना) पसंद आया और मुझे इस बार बेहतर की उम्मीद थी लेकिन निराश हुआ और फिर उनके उसी गीत के आधिकारिक संस्करण को देखा और वह मुझे वाकई पसंद भी आया और मैंने उसके बाद उसे अधोभारित भी किया।
मैंने उनके सभी वीडियो गीत के दृश्य देखा तो मुझे ज्यादा निराशा न हुई क्योंकि उनमें से अधिकतर के दृश्य दस लाख के पार थे और वैसे भी मुझे इससे मतलब नहीं था और फिर मैंने उनका विकीपृष्ठ भी पढ़ा और एक ही चीज समझ में आया कि हम सभी अपना सौ प्रतिशत दे रहे हैं और कुछ ज्यादा भी दे पा रहे हैं लेकिन इसमें दूसरों के सहयोग की भी आवश्यकता है। 
हम केवल खुद के भरोसे तरक्की हासिल नहीं कर सकते हैं और यही इंसानियत की बड़ी खुबसूरती है कि हम अपनी असफलता का इल्जाम दूसरों पर मढ़ देते हैं और यहीं से हम गलतियाँ करना शुरु कर देते हैं। ऐसा नहीं है कि हम इससे पहले गलतियाँ नहीं कर रहे होते हैं लेकिन असली गलती तो तब से मानी जाती है जब हम अपनी असफलताओं के लिए दूसरों को भी जिम्मेदार बना देते हैं और हमें इससे बचना भी चाहिए।
इस किस्सागोई का सार यह है कि आप कुछ भी करो, आपको अपने पड़ोसियों का साथ लेना ही होगा क्योंकि इससे आपकी पहचान बढ़ती है। आप अपने समुदाय में पहचाने जाते हैं तो इसी चीज से कि आपका उनसे व उस विशेष समुदाय से कोई ताल्लुक है लेकिन कई बार हम अकेले ही रास्ता नापने लगते हैं। 
इस तरह हम आगे तो बढ़ जाते हैं लेकिन क्या हम उतना खुश हो पाते हैं जितने की उम्मीद हम करते हैं, शायद नहीं इसीलिए मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ कि आप कुछ भी करो, इसमें दूसरों का भी भला सोचो और लोगों को अपने काम से जोड़ने की कोशिश करें क्योंकि यह कोई गुप्त प्रकल्प नहीं है जिसमें आप लोगों से छिपकर काम करते हैं और इसमें भी सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ भी आपको एक समूह की जरूरत होती है और तभी आप सफल हो पाते हैं।
मैंने यह सजाल अपने विचारों को दुनिया के सामने लाने के लिए ही शुरु किया है और मेरा पूर्ण विश्वास है कि मैं इसमें पूर्णतः सफल भी रहूँगा। मुझे कई लोगों से भी मिलना है जो इस क्षेत्र के सरताज हैं।

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