मानकीकरण
इस आलेख में मैं आपके समक्ष एक महत्वपूर्ण मुद्दे का जिक्र
कर आपको जागरूक करना चाहूँगा क्योंकि यह एक सौ पच्चीस कोटियों के लिए एक
महत्वपूर्ण विषय है।
मैं हिंदी में मानकीकरण के अभाव की बात कर रहा हूँ। यहाँ तो
प्रथम संशय यही है कि देवनागरी में कौन सही है- हिन्दी या हिंदी लेकिन हम अपनी
भागदौड़ भरी जिंदगी में इतने मशगूल हैं कि हम इसकी परवाह तक नहीं कर पा रहे हैं।
हमें तो केवल अपनी रोटी और कमाई बढ़ाने की चिंता है, बाकी जाए घास चरने, हमें क्या जाता है।
हिंदी विश्व की सर्वाधिक बोले जानेवाली भाषा बन गई है और
हमारे देश की (नाममात्र की) राष्ट्रभाषा है लेकिन मानकीकरण के अभाव ने इसे अधिक
दुष्कर बना दिया है और इसके विरोधी तो आजकल इतने ताकतवर हो गए हैं कि हिंदी में
लिखते हुए भी हिंदी की बुराई कर डालते हैं और इसमें हम हिंदीयों का भी दोष है जो
इन तथाकथितों की रचना को सिरमौर कर देते हैं और इनमें से कई तो स्थापित हैं लेकिन
इनकी कार्यशैली ने मुझे आशंकित कर दिया है कि ये कमाते हैं अपनी भाषा के कारण
लेकिन गुणगान करते है दूसरे की।
मैं पिछले दिनों हिंदी के प्रतिष्ठित मध्यमा समूह के सजाल
से एक आलेख पढ़ रहा था और उसके लेखक ने तो कमाल का लिखा था- हिंदी को अंग्रेजी के
शब्द (खासकर संज्ञा) इसलिए गोद लेने चाहिए क्योंकि हिंदी के पास उपयुक्त शब्द नहीं
है और उसे वह शब्द गोद लेकर अपना प्रसार करना चाहिए और सबसे बड़ी बात यह है कि यह
सारा कुछ हिंदी में लिखित है और अभी भी अंतर्जाल पर उपलब्ध है। मेरा इस बंधु से
आग्रह है कि वे एक बार हिंदी साहित्य व विज्ञान पर नजर डालें ताकि उन्हें पता चल
सके कि हिंदी के लिए कितने कार्य हो रहे हैं और यह भी अगर मुश्किल है तो कृपया अटल
बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि^, भोपाल आ जाइए। आपको पता चल जाएगा कि हिंदी हेतु कितने
महत्वपूर्ण व अद्वितीय कार्य यहाँ क्रियान्वित हो रहे हैं।
हमारे साथ दुविधा यह है कि जब तक कोई चीज सिर पर न चढ़ जाती
हो, तबतक हम उसे सुधारने को आगे
नहीं आते हैं और हमारे देश का इतिहास तो इसी से भरा पड़ा है, चाहे वो आजादी से जुड़ी कोई घटना हो या कोई और, हमने हर काल में एक जयचंद जरूर पैदा किए हैं और वही जयचंद
हमारे अधिपति भी रहे हैं और कुछ कतारबद्ध भी हैं।
आशा है कि इस आलेख को पढ़ने के बाद आप हिंदी के मानकीकरण पर कुछ सोच पाएँगे। अगर आपके पास कोई सुझाव या विचार हो, तो आप टिप्पणी बक्सा या संदेश प्रपत्र में लिखकर अपनी बातें हमारे साथ बाँट सकते हैं।
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