सत्तर लखिया स्वर्ण, तो पैसठ करोड़ी रजत भाग-2
हम केवल दो पदक पाकर जितने खुश हो गए, चीन तो अपने सत्तर पदकों से खुश भी न हो सका
लेकिन यहाँ एक चीज का उल्लेख जरूरी है कि खेल समापन से दो दिन पूर्व तक हमारे
खिलाड़ियों की कुछ बुराइयाँ भी हुई कि वे नाकाबिल हैं और इतने लोगों को वहाँ केवल नाक
कटाने के लिए भेजा गया| हम परेशान थे कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और
हमारी संख्य आबादी बहुमोर्चों पर खुद को साबित कर चुकी है कि इस समय उनका सानी कोई नहीं है लेकिन आखिरकार अकेले इस खेल के साथ क्या हो गया कि हम अबतक इसमें
पिछलग्गू हैं| कुछ ऐसे देश, जो कई मानकों पर हमारे आसपास या कहीं भी नहीं हैं
लेकिन पदक तालिका में वे हमसे बहुत ऊपर आ गए और यही हमारी व्यथा का कारण बनी|
हमने तब भी इस समस्या के असली निराकरण पर ध्यान नहीं दिया और हम अपने राजनीतिक
नेतृत्व की तरफ देखने लगे लेकिन यहाँ भी मुआँ धोखा दे गया| हमारी अपेक्षा सदा यही
रहती है कि हम हमेशा सदैव बचाव की मुद्रा में रहे और कोई दूसरा हमारी जगह वह जंग
लड़ ले एवं यही अल्पसमस्या दीर्घकाल में महामारी के रूप में हमारे सिर आ जाती है
और तब हमें अंदाजा होता है कि अच्छा, ये इतनी बड़ी समस्या है और तभी हम इसके
समाधान पर सोचना शुरु करते हैं| यहाँ एक चीज का चर्चा न करने से मेरा यह आलेख
अधूरा प्रतीत होगा और यह अधूरापन हमारी केंद्र सरकार की भूमिका द्वारा ही लोपित हो
सकता है|
यह तो अच्छा हुआ कि खेल समापन के तुरंत बाद सरकार ने एक उच्चस्तरीय कमेटी बना
दी, जिसका कार्य पदकीय क्षमतावान खिलाड़ियों को ढूँढना और फिर उन्हें
सर्वोचित प्रशिक्षण देकर उन्हें पदक जितने लायक माहौल देना होगा और इसका लक्ष्य
फिलहाल २०२० ओलंपिक है|
लेकिन आज यह कमेटी क्या कर
रही है, किसी को पता नहीं है शायद उनका दल खिलाड़ियों की खोज में दर-बदर भटक रहा
हो लेकिन अब तो टोकियो ओलंपिक २०२० से जुड़ी खबरें आना भी बंद हो गई है और हमेशा
की तरह हम फिर से भूल गए| आप हैरान हो जाएँगे कि जापान ने कई साल पहले ही टोकियो
ओलंपिक का प्रचार करना शुरु कर दिया था और कई देशों ने ओलंपिक की तैयारी भी शुरु कर दिया है लेकिन आप जानते ही हो कि हमें यह दोबारा कब
याद आएगा, तो इसका सरल जवाब है- टोकियो ओलंपिक २०२० शुरु होने से कुछ दिन पहले, जब
हमारे अखबार दैनिकवार कुछ खिलाड़ियों का साक्षात्कार या उनके प्रदर्शन का मुआयना
अपने खेल स्तंभ में पेश करेंगे और हमें तभी अहसास होगा कि अच्छा, ओलंपिक शुरु
होनेवाले हैं|
(क्रमशः)
यह आलेख चार भाग में प्रकाशित हुई है और यह इसका द्वितीय
भाग है।
अगर आपने इसका पहला भाग अभी तक नहीं पढ़ा है, तो इसे भाग-1 टकें।
अगर आपने इसका पहला भाग अभी तक नहीं पढ़ा है, तो इसे भाग-1 टकें।
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