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सत्तर लखिया स्वर्ण, तो पैंसठ करोड़ी रजत भाग-4


हमें ध्यान रखना होगा कि हमारी नारीसेना ने इस बार ओलंपिक में अपना जलवा दिखाकर देश का नाम रोशन किया| इसका अर्थ बिल्कुल यह नहीं है कि हमारे लड़के या बाकी खिलाड़ी कहीं कम थे, इन्हें तो सुविधाओं की कमी ने मारा और साथ में अधिकारियों के असहयोग के कारण उत्पन्न हुई मनोदशा ने पूरा खेल बिगाड़ दिया| खेल समापन के बाद हवाईअड्डे से लेकर विभिन्न कार्यक्रमों में इनका जो आतिथ्य हुआ, वह वाकई काबिल-ए-तारीफ था और इनपर हुई धनवर्षा से विभिन्न सरकारों ने भी जनता के साथ अपनी सोच साझा किया और यहाँ तक कि ऐसे राज्य सरकारों ने भी धनवर्षा की जिनका खुद की स्थिति इतनी खराब है कि वे एक खिलाड़ी तक पा सके हैं जो पदकधारी हो लेकिन क्या कीजिएगा साहब, यहाँ राजनीति में हर चीज जायज है, जबतक कि कोई ऊँगली न उठा दे| हम हर्षोल्लास के साथ इनकी तारीफों में कसीदे गढ़े और आज हमने उन्हें भुला दिया है| हमने इनपर हुई धनवर्षा का खुब ध्यान रखा लेकिन हमारा ध्यान अगली सिंधु या अगली साइना या अगली दीपा या अगला गोपीनाथ या अगली साक्षी ढूँढने पर नहीं था बल्कि हम तो केवल उनके जश्न में मात्र शरीक होने आए थे|
हमारी सरकारों ने विभिन्न मदों में इनपर इनामों की बौछार कर दिया जो जायज भी था लेकिन क्या हमें इसपर भी ध्यान नहीं देना चाहिए था कि इन खिलाड़ियों की तैयारी पर आगे की रणनीति क्या होगी और आगामी खेलों हेतु नए खिलाड़ियों का कोटा कबतक तैयार होगा जो पदक के काबिल भी हो लेकिन हमने केवल एक कमेटी बनाकर इतिश्री कर दिया| अब इस कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है कि वो अपनी रिपोर्ट में क्या दर्ज करते हैं और इनके कार्यों से हम अगले ओलंपिक में कितने पदक ला सकेंगे और यह भी अभी भविष्य के गर्भ में है|

खैर, आपको शायद यह जानकर हैरानी होगी कि बैडमिटंन की जिस स्पर्धा में सिंधु ने रजत जीता था और उनको हरानेवाली स्पेन की केरोलिना मरीन को इनामी राशि के तौर पर केवल ₹ सत्तर लाख (€ चौरान्वे हजार) मिला और यह तथ्य सिद्ध करने के लिए काफी है कि हम, हमारे खेलसंघ व हमारी सरकार पदक जीतने के बाद उनकी सुविधाओं में बढ़ोतरी व इनामी राशियों की बौछारों से उनका आवभगत करते हैं लेकिन वहाँ पदक जीतने के पहले खर्चा जाता है, ताकि मरीन जैसी खिलाड़ियाँ स्वर्ण पदक हासिल कर सके|

यहाँ इनामी राशि की तुलना करना पूर्णतया बेमानी होगी लेकिन हालात बताने हेतु हमें कुछ कारक तय करने होते हैं जो हमें बता सके कि हम सही मार्ग पर चल रहे हैं या नहीं और आपको जानना चाहिए कि हमारी सिंधु को इनाम के तौर पर विभिन्न मदों में पैसठ करोड़ मिले| मरीन ने खुद इसकी ताकीद की कि उनका मिला इनाम सिंधु को मिले इनाम के सामने बहुत कम है लेकिन हमें उस मानसिकता का कुछ तोड़ निकालना ही होगा जो केवल एक सफल शख्स को ही पर्दे पर देखना चाहती है|

हमें तय करना होगा कि क्या केवल इनामी बौछार से ही हमारे खिलाड़ी ओलंपिक जैसे वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिभा सिद्ध कर सकेंगे या फिर हमें शुरुआत से ही इन खिलाड़ियों के मानसिक अथवा शारीरिक प्रशिक्षण पर ध्यान देकर उन्हें बेहतरीन प्रशिक्षक दिलाकर वह वैश्विक तनावयुक्त माहौल का अहसास कराना होगा, जिसके कारण हमारे खिलाड़ी कई बार बाहर हो चुके हैं| 

ओलंपिक एक वैश्विक कीर्ति स्थापित करनेवाली मंच बन गई है औसभी देशों को एक बहती नाव में खेने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा भी रहा है और हम अपने देश को खेल महाशक्ति बनाकर अपने देश का नाम तो रोशन करेंगे ही, अपितु इसके फलस्वरूप हमारे संबंध उन देशों के साथ भी सुधरेंगे जो खेल में हमारे धाकड़ प्रतिस्पर्धी हैं और हम विभिन्न खिलाड़ी विनिमय कार्यक्रम चलाकर अपने व उनके खिलाड़ियों का उचित मार्गदर्शन कर सकेंगे।

(क्रमशः)
यह आलेख चार भाग में प्रकाशित हुई है और यह इसका चतुर्थ भाग है।

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