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स्वयंभू संविधान

यदि हर व्यक्ति अपने लिए इस युग की आवश्यकताओं के अनुरूप अपने जीवन का संविधान बना लें, तो वह एक आदर्श व्यक्ति बन सकता है। आपको बस निम्नलिखित विधान मानना होगा।


v  ईश्वर को न्यायकारी मानकर हम उसके अनुशासन को अपने जीवन में उतारेंगे।
v  शरीर को ईश्वर का घर मानकर आत्मसंयम व नियमितता द्वारा आरोग्य की रक्षा करेंगे।
v  मन को कुविचारों व दुर्भावनाओं से बचाए रखेंगे।
v  मर्यादाओं का पालन करेंगे, नागरिक कर्तव्यों का पालन करेंगे व समाजनिष्ठ बने रहेंगे।
v  समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी व बहादुरी को जीवन का अविच्छिन्न अंग मानेंगे।
v  चारों ओर मधुरता, स्वच्छता, सादगी व सज्जनता का वातावरण बनाएंगे।
v  अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा नीति पर चलते हुए असफलता का वरण करेंगे।
v  लोगों को उनकी सफलता, योग्यता या धन-दौलत से नहीं, बल्कि उनके अच्छे विचारों व सत्कर्मों से आंकेंगे।
v  दूसरों के साथ वह व्यवहार नहीं करेंगे, जो हमें अपने लिए पसंद न हो।
v  प्रत्येक व्यक्ति के लिए समानता का भाव रखेंगे, किसी भी तरह का भेदभाव नहीं बरतेंगे।
v  परंपराओं की अपेक्षा विवेक को अधिक महत्व देंगे।
v  अपने राष्ट्र को उन्नति की ओर ले जाने में योगदान करेंगे।

मुझे आशा है कि ये बारह विधान आपके जीवन को बेहतर बना सकेंगे।
साभार: देवसंस्कृति विवि, हरिद्वार

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