विवाह रीति में सातफेरे ही क्यों होते हैं???
क्या आप जानते हैं कि
जब कोई जोड़ा विवाहसूत्र में बँधता है, तो वह सात फेरे ही क्यों लेता है।
अगर नहीं जानते हैं, तो
यह आलेख आपके लिए ही है।
छवि स्त्रोत: भारतडिस्कवरी.ऑआरजी
आप तो जानते ही होंगे
कि हमारे विवाह रीति में जोड़े यानि दुल्हा-दुल्हन सातफेरे लेते हैं और इन
सातफेरों के दौरान सात वचनों की भी अहम भूमिका होती है जो दुल्हा-दुल्हन के लिए बोलना व
मानना अनिवार्य होता है।
जानें इन सातफेरों का धार्मिक आधार: हिंदू विवाह में सातफेरों के साथ सात वचन
लेकिन एक चीज जो इन्हें
इस दौरान नहीं बताया जाता है कि ये सात ही बार फेरे क्यों लेते हैं या सात ही बार
चक्कर क्यों लगाते हैं।
प्रत्येक फेरा 360
डिग्री का होता है। संख्याएँ 0-9 के बीच होती है जिसमें से शून्य किसी काम का नाम
नहीं होता है। अगर आप किसी भी संख्या को शून्य से भाग देंगे, तो वह अनंत बन जाएगा
और इस प्रकार विभाजन के लिए हमारे पास 1-9 के ही विकल्प बचे हैं।
360 ऐसी संख्या है जो
1 से 9 तक के अंको में केवल 7 से विभाजित नहीं होती है इसलिए 7 फेरों का संबंध अविभाज्य
है।
तो आप अब समझ गए होंगे
कि क्यों हमारे जोड़े सातफेरे ही लेते हैं।
हमारे रीति-रिवाज आरंभ
से ही विज्ञानी गुणों को समेटे हुए है लेकिन हमारी अज्ञानता हमें अपनी बेवकूफी से
दूर नहीं रख पाती है।
हम ऐसे कई आलेखों के माध्यम से हमारे कई रीति-रिवाजों के विज्ञानी पहलुओं पर गौर करेंगे।