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प्रसिद्धि का हमारे जीवन में महत्व

अच्छा, हम अभी प्रसिद्धि पर बात करनेवाले हैं और मैं अभी अपने विचार एक आम इंसान के रूप में देनेवाला हूँ क्योंकि मैं भी एक आम शख्सियत ही हूँ जिसे प्रसिद्धि की अभी कोई जरूरत नहीं है। 

हाँ, मुझे भी चाहिये, वाकई चाहिये, कौन मना कर सकेगा लेकिन इतना ही जिससे मेरा पेट भर जाये। उसके बाद मैं इन सबसे पीछा छुड़ाने में ही व्यस्त रहना चाहूँगा। मुझे लगता है कि यह प्रसिद्धि ऐसी चीज है जो नश्वर होती है और यह हम इंसानों से भी अधिनश्वर है। 

हमारी तो कम से कम वारंटी है कि हम इतने साल तो जियेंगे लेकिन इस नामुराद प्रसिद्धि की तो कोई आयु ही नहीं है। किसी को बारह की उम्र में मिलती है तो किसी को पच्चीस में तो किसी को बारसठ की उम्र में नसीब होती है। हमारे आसपास ऐसे कई लोग मिल जायेंगे जो अथक प्रयास के बाद भी सफलता का रस चखने से बच गये और आज भी गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं।

मैं जब गुमनामी की जिक्र कर रहा हूँ तो इसका प्रत्यक्ष संबंध प्रसिद्धि से नहीं है। मेरा आशय यह है कि हम सभी अपनी जिंदगी में कई काम करते हैं। उनमें से कुछ के लिये हमें शाबासी मिलती है तो कुछ के लिये गालियाँ लेकिन हमारे अधिकतर काम अपरिचित व अचिह्नित ही रह जाते हैं क्योंकि कहीं कहीं हमें भी यह लगता है कि हमारे कुछ काम बेकार थे और उन्होंने हमारा समय फोकट में ले लिया।

उस वक्त हम उस तथाकथित कार्य की समालोचना नहीं कर रहे होते हैं। हम बस उसकी तात्कालिक अवस्था पर सांत्वनात्मक विमर्श कर रहे होते हैं कि हमने किस तरह उस बेकार काम में समय लगाया और इस प्रकार हम उसका सही फायदा या अधिक फायदा उठाने में भी नाकाम रह जाते हैं।



लेकिन हम उस वक्त यह भूल जाते हैं कि ये नाकामयाबी सिर्फ हमारी या हमारे द्वारा खपाये समय की नहीं है। गलती हमारे तरीकों और हमारे विपणन नीतियों की भी है। हमने हर चीज को ऐसे चश्मे से देखना शुरु कर दिया है जिससे हम किसी भी चीज के आर्थिक पहलू पर ही चिंतन कर पाते हैं लेकिन ये सभी चीजें कला के प्रतिरूप हैं। 

कोई भी चीज बेकार नहीं जाता। जो आज बेकार है, वह कल महत्वपूर्ण हो जायेगा, सिर्फ एक उचित दाम की दरकार है और वह है उसकी अहमियत। हमारे इतिहास में ही कई घटनाएँ हैं जहाँ लोगों ने पहले तो कुछ लोगों के कामों को नकारना चाहा लेकिन अंततः उन्हें उस अच्छी मानसिकता के सामने झुकना ही पड़ा क्योंकि एक अच्छी सोच पूरी दुनिया बदल सकती है, बस बदलनेवाले में माद्दा होना चाहिये कि वह किस तरह भावी परिवर्तनों से बचा रहेगा क्योंकि वक्त का बहाव ऐसा है जो किसी को नहीं छोड़ता और हमारे सिनेमाई दुनिया इससे बहुपरिचित है। 

यहाँ रोज एक सितारा प्रवेश लेता है तो एकाधिक आखिरी छोर तक पहुँचा दिये जाते हैं क्योंकि इनके मठाधीशों को लगता है कि इन्हें कुछ खास युवा सोच चाहिये जो देखने में भी युवा, मनमोहक असरदार दिखे जो आप शायद ही किसी पचासवर्षीय व्यक्ति से उम्मीद करो।

अंत में एक ही बात बोलूँगा कि खुशी इस दुनिया का सबसे बड़ा गहना है और यह जिसके पास है, उसे अन्य चीज की जरूरत नहीं है।
यह पृष्ठ अंतिम बार 14 अप्रैल 2017 (1700 भामास) को अद्यतित हुयी थी।
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