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हिंदी की मानक वाक्यरचना का रामबाण


हिंदी का मानकीकरण जितना आवश्यक है, उससे अधिक उसके शब्दों व उसके प्रयोगों को परिभाषित करना आवश्यक है। भूमंडलीकरण के दौर में कोई भी भाषा, चाहे उसका साहित्य कितना भी समृद्ध हो या फिर उसके रचनाकार कितने भी योग्य हो, तभी अपनी अस्तित्व बनाये रखती है, जब उसकी शब्दरचना पर कोई अनावश्यक आघात न हो।

लेकिन हमारी हिंदी के साथ एक उलटी गंगा बह रही है।

यहाँ सभी ने अप्राधिकृत रूप से हिंदी शब्दरचना को मनचाहा स्वरूप दे दिया है और इसके कारण ऐसी दुष्कृतियाँ देखने में मिलती हैं जो न केवल त्रुटिपूर्ण होती है, बल्कि पाठकों के सामने भी गलत प्रारूप प्रस्तुत करके उन्हें भी दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया जाता है।

हमें इसके साथ यह भी समझने-बूझने को तैयार रहना पड़ेगा कि हरियाणवी, राजस्थानी, कुमाऊँनी, भोजपुरी, मैथिली, वज्जिका, आदि अनेक भाषा प्रारूप/बोलियाँ/शैलियाँ हैं, जिनमें भेद करना समय की जरूरत है। इनके शब्द भले ही एक होते हों लेकिन शब्दोपयोग तो सदैव एक नहीं रहते हैं।

मैं मानने को तैयार हूँ कि मैं उन सैकड़ों में खुद को शामिल कर रहा हूँ लेकिन मेरे पास उपाय ही क्या है। मैं यहाँ कोई समाजसेवा करने के लिये नहीं आया हूँ या फिर प्रसिद्धि पाने। मुझे अपने उद्देश्यपूर्ति के अलावा कुछ भी नहीं चाहिये और इससे कम पर मुझे संतुष्टि भी नहीं मिलेगी।

मैंने यहाँ कुछ नियम परिभाषित किया है जो भावी समय में बदलावयोग्य नहीं होंगे अर्थात् उनकी शब्दशैली या शब्दप्रवाहिता पर भविष्य में कोई असर नहीं पड़ेगा।

मानक हिंदी कैसे लिखें- https://goo.gl/YfdTmp पर पढ़िये।

आप उपयोक्ताओं से भी अनुरोध है कि इस मार्गदर्शिका का अनुपालन अवश्य करें।

अपने आसपास लोगों को बतायें कि मानक हिंदी क्यों और कितनी जरूरी है। अगर आज यह परवान नहीं चढ़ा, तो कोई बात नहीं, फिर से एक नया प्रयत्न होगा, एक नयी दल होगी जो मुझसे भी अधिआक्रामक होकर इस कार्य को अंजाम तक पहुँचायेगी।

यदि इस मार्गदर्शिका के अनुपालन में कोई दुविधा होती है, तो आप संपर्क प्रपत्र के जरिये हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम यथाशीघ्र आपकी पृच्छा का सकुशल जवाब देंगे।

टिप्पणियाँ

यहाँ मानक हिंदी के संहितानुसार कुछ त्रुटियाँ हैं, जिन्हें सुधारने का काम प्रगति पर है। आपसे सकारात्मक सहयोग अपेक्षित है। अगर आप यहाँ किसी असुविधा से दो-चार होते हैं और उसकी सूचना हमें देना चाहते हैं, तो कृपया संपर्क प्रपत्र के जरिये अपनी व्यथा जाहिर कीजिये। हम यथाशीघ्र आपकी पृच्छा का उचित जवाब देने की चेष्टा करेंगे।

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