खेलमंत्री ने ली सुध
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नीरज चोपड़ा |
आपने मेरा आलेख सत्तरलखिया स्वर्ण, तो पैंसठ करोड़ी रजत भाग-1
पढ़कर यह तो समझ ही गए होंगे कि हम अपने खेलों के भविष्य के प्रति कैसे दुरूह हो
गए हैं| अभी तक इस विषय का एक
ही भाग प्रकाशित हुआ है और इसके अन्य तीन भाग प्रकाशाधीन हैं| इसका दूसरा भाग कल
दस बजे प्रकाशित किया जाएगा और इसके प्रथम भाग से आगे की कहानी बयाँ होगी|
मेरा यह आलेख वाकई कई
मायनों में मेरे शीर्षित आलेख का विरोधाभासी है क्योंकि मैंने अपने आलेखों में खेलों के प्रति हमारी व सरकार की हिकारत भरी नजरों की अवहेलना की है लेकिन हमारे वर्तमान खेलमंत्री
श्री विजय गोयलजी ने निर्णय लिया है कि वे व्यक्तिगत रूप से खिलाड़ियों से मिलकर उनकी
दुविधा जानेंगे और उसे दूर करने का भी प्रयास करेंगे| यह पहल वाकई काबिल-ए-तारीफ
है क्योंकि यह भारतीय इतिहास में पहली बार होगा जब किसी केंद्रीय स्तर का मंत्री
किसी खिलाड़ी से मिलकर उसकी तैयारियों का जायजा लेगा और उस मुलाकात के
परिणामस्वरूप उसके सुविधाओं में इजाफा भी होगा ताकि वो आगामी वैश्विक खेलों में
बेहतर प्रदर्शन कर सके और इस सबसे हमारा फायदा यह होगा कि हम वैश्विक तौर पर खेल
महाशक्ति बनने के मार्ग में एक कदम और आगे बढ़ पाएँगे|
इसी क्रम में
हमारे मंत्री महोदय ने खिलाड़ी नीरज चोपड़ा से मुलाकात कर उनका हालचाल पूछा और
उनको मिलनेवाली सुविधाओं की जानकारी ली| नीरज फिलहाल बंगलुरु में कोच गैरी कैलवर्ट
के साथ इस वर्ष होनेवाली विश्व चैंपियनशिप की तैयारी में जुटे हैं। नीरज भाला फेंक
में विश्व रिकॉर्डधारी हैं और वह अगली ओलंपिक में भारत की बड़ी उम्मीद हैं।
यह वास्तव में
एक नए युग की शुरुआत है, जहाँ हम ऐसी सरकार से रूबरू हो रहे हैं जो वाकई खेल और
खिलाड़ियों की चिंता करती है और उसे दूर करने का दावा करती है|
अब यह तो वक्त
ही बताएगा कि इन प्रयासों के कितने सुपरिणाम मिलते हैं लेकिन प्रयासों के इन
किरणों ने एक चीज जरूर पुख्ता कर दिया कि आगामी खेलों में हमारे खिलाड़ी
आत्मविश्वास से अधिक लबरेज होंगे जो अंततः उनके पदकों में इजाफा ही करेगी|
कोई भी पदक तभी
तक महत्वपूर्ण होता है, जबतक हम अपने खिलाड़ियों व उनके परिश्रम को सही दर्जा देते
हैं| इस ख्याल से हम एक कदम तो जरूर आगे बढ़ आए हैं|
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